वाक्य प्रयोग सहित मुहावरे


अक्ल का पुतला (असाधारण बुद्धिमान्‌)-महेश तो अक्ल का पुतला है उसके साथ बहस मत करो।

अक्ल चरने जाना (समझ का न रहना)-क्या तुम्हारी अक्ल चरने गई है जो उस जुआरी के साथ मित्रता स्थापित कर रहे हो ?

अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि भ्रष्ट होना)-मुसीबत के समय बड़ों-बड़ों की अक्ल पर पत्थर पड़ जाते हैं।

अंधे की लकड़ी (एंकमात्र सहारा)--राकेश ही बुढ़ापे में मुझ अंधे की लकड़ी है।

अंग-अंग ढीला होना (थक जाना)--दिन भर के परिश्रम से मज़दूरों का अंग-अंग ढीला हो जाता है।

अँगूठा दिखाना (विश्वास दिलाकर मौके पर इन्कार कर देना)--नेता लोग चुनाव के दिनों में अनेक वायदे करते हैं, परंतु बाद में अँगूठा दिखा देते हैं।

अपनी खिचड़ी अलग पकाना (सबसे अलग रहना)--सबके साथ मिलकर रहना चाहिए, अपनी खिचड़ी अलग पकाने से कोई लाभ नहीं।

अँगुली उठाना (दोष लगाना, निंदा करना)--कर्त्तव्यपरायण व्यक्ति पर कोई अँगुली नहीं उठा सकता।

अँगारे उगलना (क्रोध में जली-कटी बातें कहना)--रावण को जब अंगद ने खरी-खोटी सुनाई तो वह भरी सभा में अँगारे उगलने लगा।

इधर-उधर की हॉकना (व्यर्थ गप्पें मारना)--राम सदैव इधर-उधर की हॉकता रहता है।

ईंद का चाँद होना (बहुत दिनों बाद दिखाई देना)--अरे सुरेश ! तुम तो ईद का चाँद हो गये हो, कहाँ रहते हो?

ईंट का जवाब पत्थर से देना (करारा उत्तर देना)-भारत ने चीन को ईंट का जवाब पत्थर से दिया था।

उलटी गंगा बहना (उलटी बातें होना)--आजकल माता-पिता बच्चों से डरने लगे हैं, अब उलटी गंगा बह रही है।

उननीस-बीस का अंतर (बहुत कम अंतर)--मोहन तथा सोहन में कद का उन्‍नीस-बीस का अंतर है।

गाल बजाना (व्यर्थ की बातें अथवा गर्व करना)--अरे देव ! तुम्हें तो संसार में कुछ करके दिखाना चाहिए। केवल गाल बजाने से कुछ न होगा।

घर में गंगा (सहज प्राप्ति)--अरे सुरेश ! तुम्हें पढ़ाई की क्या चिंता? तुम्हारा भाई अध्यापक है। इस प्रकार घर में गंगा बहती है।

घुटने टेकना (आत्म-समर्पण करना)--सन्‌ 1971 के भारत-पाक युदूध में पाकिस्तानी सेना ने शीघ्र ही भारतीय सेना के आगे घुटने टेक दिए।

घात लगाना (अवसर की ताक में रहना)--शिवाजी ने घात लगाकर अफजल खाँ का वध कर दिया।

घाव पर नमक छिड़कना (दुःखी को और दुःखाना)--उसने मुझे ऐसी बातें कह-कह कर मेरे दुःख को कम नहीं किया बल्कि मेरे घावों पर नमक छिड़क दिया।

चिकनी-चुपड़ी बातें करना (मीठी, लेकिन धोखे की बातें करना)--रमेश की चिकनी-चुपड़ी बातों में न आना वह तो धोखेबाज है।

छाती पर पत्थर रखना (चुपचाप दुःख सहना)--शीला जिस दिन से ससुराल आई थी उसी दिन से उसने छाती पर पत्थर रख लिया था।

छक्के छूटना (हिम्मत हारना, घबरा जाना)-महात्मा गांधी के आंदोलनों के समय अंग्रेज़ों के छक्के छूट गए।

छठी का दूध याद आना (भारी संकट में पड़ना, कठिनाई अनुभव होना)-श्री रामचंद्र जी के तीक्ष्ण बाणों के प्रहार से रावण को छठी का दूध याद आ गया।

टस-से-मस न होना (जरा भी प्रभाव न पड़ना, अपनी बात पर डटे रहना)--बहुत समझाने पर भी वह टस-से-मस नहीं हुआ तो मैंने उससे बोलना बंद कर दिया।

ठोकरें खाना (धक्के खाना)--प्रमोद बचपन में पढ़ा नहीं और अब ठोकरें खाता फिरता है।

ठिकाने लगाना (मार देना, नाश कर देना)-शिवाजी ने कितने ही मुगलों को ठिकाने लगा दिया।

ठन-ठन गोपाल (जेब खाली होना)--तुझे पैसे कहाँ से दूँ ? आज तो मैं ठन-ठन गोपाल हूँ।

डींगें मारना (गप्प मारना)--राकेश डींगें तो मारता है, लेकिन वैसे पाई-पाई के लिए मरता है।

डंका बजाना (प्रभाव होना, अधिकार होना, विजय पाना)--सारे विश्व में भारत की शक्ति का डंका बज रहा है।

तिनके का सहारा (संकट के समय थोड़ी-सी सहायता मिलना)--इस मुसीबत में तुम्हारे पाँच रुपये ही मेरे लिए डूबते को तिनके का सहारा सिद्ध हुए।

तलवे चाटना (चापलूसी करना)--मुनीश दूसरों के तलवे चाटकर काम निकालने में बड़ा निपुण है।

ताक में रहना (अवसर देखते रहना)--डाकू सदैव डाका मारने की ताक में रहते हैं।

तीन तेरह हो जाना (भाग जाना)-पुलिस को देखते ही चोर एकदम तीन तेरह हो गए।

दिन फिरना (अच्छे दिन आना)--मित्रवर ! निर्धनता में इतना घबराओ नहीं क्योंकि दिन फिरते देर नहीं लगती।

दाँत पीसना (बहुत क्रोध करना)--अंगद की खरी-खोटी बातें सुनकर रावण दाँत पीसने लगा।

नाकों चने चबाना (खूब तंग करना, भारी कष्ट पहुँचाना)--सुभाष चंद्र बोस जैसे वीरों ने अंग्रेज़ी सेना से टक्कर लेकर उनको नाकों चने चबा दिए।

नीचा दिखाना (हराना, घमंड तोड़ना)-पाकिस्तान सदैव भारत को नीचा दिखाने की ताक में रहता की। 

नौ-दो ग्यारह होना (भाग जाना)--सिपाही को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गया।

पटटी पढ़ाना (बुरी सलाह देना)--शीला ने अपने पति को ऐसी पटटी पढ़ाई कि वह माता-पिता की ही  नही रहे। 

पगड़ी  उछालना (अपमान करना)--बड़ों की पगड़ी उछालना सज्जन पुरुषों को शोभा नहीं देता।

पाँचों अंगुलियाँ घी में होना (बहुत लाभ होना)--वस्तुओ के दाम बढ़ने से व्यापारियों की पाँचों अंगुलियाँ घी में हो गईं।

पानी फेर देना (नाश कर देना)-परीक्षा में फेल होकर पुत्र ने अपने पिता कौ सब आशाओं पर पानी फेर दिया।

बगुला भगत (कपटी)--मोहन को अपनी कोई बात न बताना। वह तो धोखा देने वाला बगुला भगत है।

बीड़ा उठाना (ज़िम्मेदारी लेना)-- हमारी सरकार ने किसानों को ऊँचा उठाने का बीड़ा उठाया है।

सिक्का जमाना (धाक्‌ बैठाना)-रणजीत सिंह ने शीघ्र ही अपनी वीरता का सिक्का अन्य राजाओं पर जमा लिया।

हक्का-बक्का रह जाना (हैरान रह जाना)-मैं मनोहर की हालत देखकर हक्का-बक्का रह गया।

हवा हो जाना (भाग जाना)-पहरेदार को अपनी तरफ आते देखकर चोर हवा हो गया।

हाथों के तोते उड़ जाना (बुरा समाचार सुनकर डर जाना)--कारखाने में आग लगते देखकर सेठ हरिदत्त के हाथों के तोते उड़ गए।