विसर्ग संधि के 8 नियम होते हैं 


नियम 1 :

जब शब्द में विसर्ग के बाद च या छ हो तो विसर्ग श हो जाता है। ट या ठ हो तो ष तथा त् या थ हो तो स् हो जाता है।

उदाहरण :

  • धनु: + टकार : धनुष्टकार
  • नि: + तार : निस्तार

नियम 2 :

जब संधि करते समय विसर्ग के बाद श, ष या स आये तो विसर्ग अपने मूल रूप में बना रहता है या उसके स्थान पर बाद का वर्ण हो जाता है।

उदाहरण :

  • नि: + संदेह : निस्संदेह
  • दू: + शासन : दुशासन

नियम 3 :

यदि संधि के दौरान विसर्ग के बाद क, ख या प, फ हों तो विसर्ग में कोई विकार नहीं होता।

उदाहरण :

  • रज: + कण : रज:कण
  • पय: + पान : पय:पान

नियम 4:

यदि संधि के दौरान विसर्ग से पहले ‘अ’ हो और बाद में घोष व्यंजन या ह हो तो विसर्ग ओ में बदल जाता है।

उदाहरण :

  • मनः + भाव : मनोभाव
  • यशः + दा : यशोदा

नियम 5 :

यदि संधि करते समय विसर्ग से पहले अ या आ को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो तथा बाद में कोई घोष वर्ण हो तो विसर्ग के स्थान र आ जाता है।

उदाहरण :

  • निः + गुण : निर्गुण
  • दु: + उपयोग : दुरूपयोग

नियम 6 :

जब संधि करते समय विसर्ग के बाद त, श या स हो तो विसर्ग के बदले श या स् हो जाता है।

उदाहरण :

  • निः + तेज़ : निस्तेज
  • दु: + शाशन : दुश्शाशन

नियम 7 :

यदि संधि के समय विसर्ग से पहले अ या आ हो तथा उसके बाद कोई विभिन्न स्वर हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है और पास-पास आये हुए स्वरों की संधि नहीं होती।

उदाहरण :

  • अतः + एव : अतएव

नियम 8 :

अंत्य के बदले भी विसर्ग होता है। जब  के आगे अघोष वर्ण आवे तो विसर्ग का कोई विकार नहीं होता एवं अगर उनके आगे घोष वर्ण आ जाता है तो र ज्यों का त्यों रहता है

उदाहरण :

  • पुनर् + उक्ति : पुनरुक्ति
  • अंतर् + करण : अंतःकरण